Success V/S Simplicity


जीवन का लक्ष्य बन गया है, मात्र सफलता !
स्कुल -कोलेज के शिक्षण में भी महत्व की है,सिर्फ सफलता
माँ-बाप भी बच्चे से आशा रखते है, सिर्फ सफलता की।
समाज में भी बोलबाला है ,मात्र सफलता की ।
मित्र वर्ग में भी चर्चा के केंद्र में है ,सिर्फ सफलता
प्रचार माध्यम में भी आगे है ,मात्र सफलता
सरकार भी एवार्ड के लिए देखती है,सिर्फ सफलता
तब
सरलता के प्रति मन में कोई आकर्षण ही नहीं है?
कहा है , आज सरलता की मांग?
जबकि सरलता तो बंधी है सदगुणों से।
बनना पड़ता है विवेकी ,
अपनानी पड़ती है श्रमावृति,प्रतिष्ठित  करना पड़ता है  प्रेम भाव ,
आत्मसात करना पड़ता है विनय,
संपत्ति को नियंत्रित करना पड़ता है नीतिमत्ता से,
वासना को नियंत्रित करना पड़ता है सदाचार से,
मति को नियंत्रित करना पड़ता है प्रभु आज्ञा से ,
प्रवतियों  को नियंत्रित करना पड़ता है महा पुरुषो की सलाह से।