Books Waiting For You

                                       

किताबे झांकती है,
बंद अलमारी के शीशों से,
बड़ी हसरत से तकती है,
महीनो अब मुलाक़ात नहीं होती,
जो शामे उनकी मोहब्बत में,
कटा करती थी ,
अब अक्सर गुजर जाती है,
"कम्पयुटर "के पर्दों पर .
बड़ी बैचेन रहती है किताबे ,
इन्हें अब नींद में चलने की ,
आदत हो गयी है ,
बड़ी हसरतो से तकती है, ये कित्ताबे !
                                  ----गुलज़ार