Anger + Foolishness = Disaster

डॉ .माया कोदनानी 

आवेश,अहंकार क्रोध, विवेक  शुन्यता ,और नफरत की परिणीती के उदाहरण है, डॉ. माया कोडनानी ,बाबू बजरंगी  और अन्य लोग , जिन्हें विशेष कोर्ट ने 2002 के  नरोदा - पाटिया केस में आजीवन सजा  सुनाई ।

                            पेशे से शायद ही ,इनमे से कोई गुनाहीत प्रवर्ती का होगा . 27/28 फरवरी 2002 के पहले शायद ही इनमे से (और दुसरे भी जो ,हिंसक बने थे पर पकडे नहीं गए ) कोई इतना हिंसक होने के बारे में सपने में भी सोचता होगा।  मगर कुछ सिरफिरों को जवाब देने के जुनून ने , इनकी विवेकता को ख़त्म कर दीया .

                        डॉ . माया जो एक नेता होने के पहले, एक गाय्नोक्लोजी और महिला थी , कितने ही जीवो को इस दुनिया में आने में सहायक बनी होगी .  मगर उनकी नफरत, आक्रोश और विवेकशुन्यता ने  कितने ही इंसानों के क़त्ल में सहायक  बनी .

                      कई घटनाएं हमे बहुत कुछ सिखा जाती है . विवेक शुन्यता ,एक  आम आदमी  को कैसे हिंसक और कातिल बना देती है .   और भूल जाते है की इसका परिणाम कभी अच्छा नहीं होगा।