जवाबो की राह कब तक देखेंगे, ये सवाल ?
- किसी की लगाईं "नफरत की आग "में, हम क्यों जले?
- किसी की बोई "नफरत की नागफनियो" को ,हम क्यों सिंचे ?
- किसी के "अहं के पोषण" के लिए, हम क्यों रिस्तो की जड़ो को मिटाये?
- किसी की "वैचारीक दरिद्रता" को, कैसे हम भी अपनाने की मुर्खता करे?
- किसी की "गलती की स्पर्धा" ,कैसे हम भी गलती करके करे?
- किसी के बनाए "गलत रास्तो" पर,क्यों हम चलने को लाचार हो?
- किसी की "खड़ी की दीवारों" को, क्यों हम बढाने को मजबूर हो?
- किसी की बनाई "गलत परम्परा" को,क्यों हम आगे बढाने की स्थिती पैदा करे?
- किसी के "पश्चाताप के अवसर" को, क्यों हम अपने लिए पैदा करे?
- किसी और की नहीं, "अपनी ही राह" क्यों ना बनाए हम?
- हमारी बाजुए नहीं,हमारा "विवेक ही हमारी शक्ति" का सूचक क्यों ना हो?
- अहंकार,क्रोध नहीं , बल्कि "विवेकता,समता,स्नेह" ही हमारी ताकत क्यों ना हो?