Father to a Son
- विचार बड़े बड़े करना , मगर छोटी छोटी खुशियों को भी मानते रहना।
- व्यक्ति घिस जाए उसकी परवाह नहीं, मगर व्यक्ति मिट ना जाए वह महत्व का है।
- अच्छी अच्छी पुस्तको को सहेज कर रखना ,फिर चाहे ऐसा क्यों न लगे की ये पढ़ी नहीं जायेगी।
- किसी के भी प्रति आशा खोना मत , क्योंकि चमत्कार रोज होते रहते है।
- हर बात में उत्तमता का आग्रह रखना और उसकी कीमत चुकाने को तैयार रहना।
- तंदुरस्ती अपने आप ठीक रहेगी , ऐसा कभी मत समझना।
- अपनी नजर के सामने हमेशा कुछ सुन्दर रखना , फिर भले ही वह एक प्याले में रखा फूल ही हो।
- मुझसे यह काम थोडा सा ही होगा ऐसा लगे ,इसलिए उस काम को नहीं करना ऐसा मत मानना ,जो थोडा भी तुमसे होता है वह जरुर करना।
- सम्पूर्णता के लिए नहीं , श्रेष्ठता के लिए कोशिश करना।
- जो तुच्छ है उसे पहचानना सीखे ,फिर उसकी अवगणना करे।
- घिस जाना मगर मिट मत जाना , अपने आप को निरंतर सुधारते रहने की प्रतिज्ञा करना।
- हार में खेलदिली ,जीत में खेलदिली बताना , प्रशंसा सबके सामने करना ,टीका अकेले में करना।
- तेरे परिवार को तू कितना चाहता है उसे रोज तेरे शब्दों द्वारा ,स्पर्श द्वारा ,तेरी विचार शीलता द्वारा बताते रहना।
- अपने आप में परिवर्तन लाने की अपनी शक्ति का अंदाजा कभी कम मत लगाना. मगर दूसरो में परिवर्तन लाने की अपनी शक्ति का अंदाजा बहुत ज्यादा मत मानना।
- कब चुप रहना उसका ख्याल रखना और और कब चुप नहीं रहना उसका भी ख्याल रखना।
- गन्दगी के सामने हमेशा युद्धरत रहना।
- दुसरो की सफलता में उत्साह बताना और दुसरे लोगो को उनको खुद का महत्व पता चले ऐसे मौके ढूंढ़ते रहना।
- अपने निर्वाह के लिए मेहनत करते हर व्यक्ति के साथ सम्मान से पेश आना ,फिर चाहे भले वह कार्य छोटा ही क्यों ना हो।
- इस प्रकार जीवन जीना की तुम्हारे बालक जब भी इमानदारी ,निष्ठा और प्रामाणिकता का विचार करे तब उन्हें तुम याद आओ।
- जिन्हें उस बात की कभी खबर भी ना लगे ऐसा हो ,ऐसे लोगो के लिए कुछ अच्छा करते रहने की आदत डालना।
- गुलाबो की सुगंध ले सको , इतनी फुरसत रखना।
- दिमाग मजबुत रखना , दिल नरम रखना।
- कौन सही है ,उसे जानने में वक्त कम लगाना और क्या सही है उसे जानने में ज्यादा।
- जो गाँठ छुट सकती है उसे कभी मत काटना।
- बड़े युद्ध जितने के लिए छोटी छोटी लड़ाईयाँ हारना सीखना।
- हर चीज जिस हालत में हमे मिली है , उससे अच्छी हालत में उसे रखना सीखे।
- सफल लग्न जीवन का आधार दो बातो पर निर्भर है. योग्य पात्र ढूंढना और योग्य पात्र बनना।
- समय नहीं मिलता ऐसा मत कहना क्योंकि एक दिन में तुम्हे भी उतने ही घंटे मिलते है जितने मदर टेरेसा , जे आर डी टाटा ,आइन्सताईना ,महात्मा गाँधी आदि को।
- सुख का आधार संपति ,सत्ता या शौर्य पर नहीं , मगर जिन्हें हम चाहते और सम्मान करते है उन लोगो के साथ अपने संबंधो पर है।
- तुम्हे मान मिले उसमे दूसरो को भी सहभागी बनाना।
- अपने बच्चो को नियमित कुछ पढ़ कर सुनाना , गीत सुनाना और हमेशा उन्हें सुनना।
- "मुझे इसकी खबर नहीं" ऐसा कहते डरना मत, "मुझसे भूल हो गई" ऐसा कहते हिचकिचाना मत,"मै शर्मिंदा हूँ " ऐसा कहते डगमगाना मत।
- कभी कभी असफल होने की तैयारी रखना।