Training, Commitment and Perseverance helped 'Ramesh Balid' turn his life around.
आज हम बात करते हैं, एक ऐसे अनपढ़ ग्वाले (गाय चराने वाले ) के बारे में जिसने सिर्फ 6 महीने की ट्रैनिंग में अंग्रेजी और कंप्यूटर में सिद्धता पाकर नौकरी हासिल कर ली।
अगर आप Ramesh Balid को sep. 2007 में देखते तो आपको उसकी आँखों में एक डर दिखाई देता । वह कर्नाटक के किसी छोटे से गाँव में रहता था। रमेश एक ग्वाला यानी गाय - भैस चरानेवाला था,जो कभी भी स्कूल नहीं गया था। उसे अपना नाम किसी भी भाषा में लिखना नहीं आता था। उसकी दुनिया गाय - भैसो से शुरू होकर गाय -भैसों पर ही ख़त्म होती थी. उसके भाई और बहन थोड़ा बहुत लिखना पढ़ना जानते थे। जब वे पढ़ते और गाना गाते तो वो उन्हें आँखे फाड़कर , बिना कुछ समझे उन्हें देखता रहता ।
ट्रैनिंग के दौरान का इंटरव्यु !
रमेश के बदलाव की शरुआत !
वह बैंगलोर अपनी जिंदगी में पहली बार आया था। बैंगलोर में पहले 2 -3दिन तो उसने किसी से बात भी नहीं की थी। वह रूम के एक कोने में बैठा रहता था। ट्रैनिंग की शरुआत के कुछ दिन
रमेश के लिए अंग्रेजी alphabets को समझना मुश्किल हो रहा था। P's और Q's उसको एक जैसे लगते थे। उसे कंप्यूटर के कीबोर्ड के सारे बटन को याद रखने में भी मुश्किल होती थी। उसे हमेशा सरदर्द रहता था। एक दिन वह बैंगलोर में बस में खो गया -और उस समय उसके पास पैसे भी नहीं थे । उसे शौचालय का उपयोग करना भी नहीं आता था, क्योंकि गॉव में उसने हमेशा खुले मैदान का ही उपयोग किया था। वह कंप्यूटर को टच करने से , लोगो से बात करने से , बस में सफर करने से,और लड़कियों के साथ पढने से वह डरता था।
रमेश के लिए अंग्रेजी alphabets को समझना मुश्किल हो रहा था। P's और Q's उसको एक जैसे लगते थे। उसे कंप्यूटर के कीबोर्ड के सारे बटन को याद रखने में भी मुश्किल होती थी। उसे हमेशा सरदर्द रहता था। एक दिन वह बैंगलोर में बस में खो गया -और उस समय उसके पास पैसे भी नहीं थे । उसे शौचालय का उपयोग करना भी नहीं आता था, क्योंकि गॉव में उसने हमेशा खुले मैदान का ही उपयोग किया था। वह कंप्यूटर को टच करने से , लोगो से बात करने से , बस में सफर करने से,और लड़कियों के साथ पढने से वह डरता था।
रमेश और उसके दोस्त !
सीखने का जुनून !
Clear, determined and focussed, Ramesh started learning. As training progressed he also started speaking confidently within a group
जैसे जैसे उसका विश्वास बढ़ता गया उसने कंप्यूटर का उपयोग करना सीखने
लगा , धीरे धीरे इंटरनेट चालु करना सिख गया। जब उसने Googal को जाना ,फिर तो Googal उसका सबसे अच्छा दोस्त बन गया। वह Google में सब कुछ खोजने की कोशिश करने लगा , हालांकि शरुआत में वह सिर्फ फोटो ही देखता और उसमे क्या हैं वह समझता।
Oct 2007 |
Clear, determined and focussed, Ramesh started learning. As training progressed he also started speaking confidently within a group
जैसे जैसे उसका विश्वास बढ़ता गया उसने कंप्यूटर का उपयोग करना सीखने
लगा , धीरे धीरे इंटरनेट चालु करना सिख गया। जब उसने Googal को जाना ,फिर तो Googal उसका सबसे अच्छा दोस्त बन गया। वह Google में सब कुछ खोजने की कोशिश करने लगा , हालांकि शरुआत में वह सिर्फ फोटो ही देखता और उसमे क्या हैं वह समझता।
रमेश और उसके दोस्तों के लिए छोटा पैराग्राफ पढ़ना और उसको समझना एक जुनून सा हो गया था। उन्होंने कहानियाँ , समाचार पत्र आदि पढ़ना शरू कर दिया। धीरे धीरे उन्होंने अनजान लोगो के साथ भी अंग्रेजी में बात करनी चालु की। जैसे जैसे वे अंग्रेजी में ज्यादा बोलने लगे उनका आत्मा विश्वास ओर बढ़ने लगा , धीरे धीरे आत्मा विश्वास मजबुत होने लगा।
रमेश की पहली परीक्षा का मौका !
उसकी ट्रैनिंग के पाँच महीने बाद रमेश की पहली परीक्षा का मौका आया ,जब एक शो में बड़े पदाधिकारिओ के सामने अपने आप को पेश करना था , वे यह जानने के लिए उत्साहित थे की रमेश और उसके साथियो ने कैसे इतनी झडपी प्रगती की. रमेश ने उस शो की पिछली पूरी रात प्रैक्टिस की। शो में उसे जो बोलना था, उसके एक एक शब्द की उसने प्रैक्टिस की। उसने अपने आपको वहाँ साबीत किया। वह सचमुच वहा बिना डरे खड़ा रहा और बोला, पहली बार किसी स्टेज पर और वह भी अंग्रेज़ी में , यही शरुआत थी एक नए भविष्य की, जहाँ उसने यह मानने की शरुआत की, कि वह अपनी जिंदगी में कुछ करने और खड़े रहने के लिए सक्षम हैं।
एक माँ की चूक !
रमेश जब अपनी 6 महीने की ट्रैनिंग के बाद अपने घर अपने भाई की शादी के लिए गया तब उसकी माँ ने, जिसने उसे 6 महीने से देखा नहीं था, वह रमेश को पहचान नहीं पाई। जब उसे उसका ID Card दिखाया जिसमे उसका पुराना फोटो था तब उसने विश्वास किया की यह उसका बेटा हैं , रमेश !
रमेश की पहली नौकरी !
उसकी टैनिंग के बाद वह 60 शब्द प्रति मिनीट टाईप कर सकता था। उसकी नौकरी लग चुकी थी और उसने अपनी पहली नौकरी की शरुआत की। यह ऐसा कुछ था, जिसकी उसने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी।
नेशनल टीवी - CNN IBN पर
रमेश की पहली परीक्षा का मौका !
Ramesh @ March 2008 |
उसकी ट्रैनिंग के पाँच महीने बाद रमेश की पहली परीक्षा का मौका आया ,जब एक शो में बड़े पदाधिकारिओ के सामने अपने आप को पेश करना था , वे यह जानने के लिए उत्साहित थे की रमेश और उसके साथियो ने कैसे इतनी झडपी प्रगती की. रमेश ने उस शो की पिछली पूरी रात प्रैक्टिस की। शो में उसे जो बोलना था, उसके एक एक शब्द की उसने प्रैक्टिस की। उसने अपने आपको वहाँ साबीत किया। वह सचमुच वहा बिना डरे खड़ा रहा और बोला, पहली बार किसी स्टेज पर और वह भी अंग्रेज़ी में , यही शरुआत थी एक नए भविष्य की, जहाँ उसने यह मानने की शरुआत की, कि वह अपनी जिंदगी में कुछ करने और खड़े रहने के लिए सक्षम हैं।
एक माँ की चूक !
नेशनल टीवी - CNN IBN पर
Ramesh With Mukesh Ambani |
रमेश ने Aasha Bhosale , Anil Kumble और कई सारी बड़ी हस्तियों के साथ TV शो के मंच को साँझा किया हैं। वे रमेश की कहानी सुनकर आश्चर्य और उत्साहित हुए। उधोगपति Mukesh Ambani ने भी उसका वक्तत्व पूरा होने के बाद उससे पूछा - तुम कैसे यह सब इतना जल्दी सिख जाते हो।
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*Head Held High Foundation संस्था समाज के कमजोर , असुरक्षित
बच्चो को खोज कर उनको 6 महीने की खाश ट्रेनिंग देकर उनको नौकरी
करने लायक बनाती हैं और उनको खुद की सहायक Village BPO में